देश भर में बोर्ड परीक्षाओं के साथ-साथ उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन का कार्य भी चल रहा है। उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में लगे मूल्यांकनकर्ता पूर्णतरू सजगता, सावधानी और गंभीरता से मूल्यांकन का कार्य संपादित करें, क्योंकि उनकी तनिक सी असावधानी, लापरवाही या जल्दबाजी अर्थ का अनर्थ कर सकती है। पिछले वर्षों के अनुभव यही बताते हैं कि प्रतिकूल परिणाम आने के बाद परीक्षार्थी आत्महत्या जैसे कदम तक उठा लेते हैं, जबकि समाचार पत्रों में पढ़ने को यह भी मिलता है कि कई विद्यार्थियों द्वारा पुनरू मूल्यांकन कराने के बाद परीक्षा परिणाम में जमीन-आसमान का अंतर दिखा। यहां मूल्यांकनकर्ता की योग्यता पर सवाल उठाना मकसद नहीं है। मेरे कहने का यह अर्थ है कि गलती कोई करे और सजा दूसरा भुगते जैसी स्थिति इस बार उत्पन्न न हो। मूल्यांकनकर्ता परीक्षार्थी के अमूल्य जीवन को ध्यान में रखते हुए गंभीरता से मूल्यांकन करें।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन
साभार हिन्दुस्तान
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