बोर्ड परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में वो छात्र जिन्होंने सालभर बिना शिक्षक पढ़ाई की है, उनके सामने परीक्षा की चुनौती से पार पाना मुश्किल है। हालांकि उन्होंने खुद के बूते पूरा जोर लगा दिया है, लेकिन यह वाकई सोचने वाली बात है कि सरकार कब बिना शिक्षक वाले विद्यालयों की सुध लेगी। इस दिशा में सोचने की जरूरत है। छात्र देश के भविष्य हैं और भविष्य को अंधकार में रखकर कभी भी प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ा जा सकता है। इसके लिए जरूरी है सरकारी शिक्षा की हालत में सुधार किया जाए। बुनियादी स्तर पर प्रयास करने के बाद ही इस दिशा में कोई पहल हो पाएगी। बिना शिक्षक हम देश का भविष्य चैपट कर रहे हैं, यह सरकार को समझने की जरूरत है। न सिर्फ शिक्षक, बल्कि विद्यालयों में प्रयोगशाला समेत अन्य सुविधाएं भी जुटाने की जरूरत है।
निधि, देहरादून
साभार जागरण
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