पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं। जिससे नौनिहालों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कई विद्यालयों में लंबे समय से शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। लेकिन सरकार इन पदों को भरने के बजाय जिन विद्यालयों में बच्चों की संख्या कम है वहां से शिक्षकों का स्थानांतरण उन विद्यालयों में किया जा रहा है। जहां बच्चों की संख्या अधिक है। इससे कम बच्चों वाले विद्यालय में पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसे प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि शिक्षकों की मांग को लेकर छात्रों को विवश होकर सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना पड़ रहा है। वहीं, हर बार सत्र शुरू होने पर शिक्षकों को स्कूल में तैनात करने की मामला टाल दिया जाता है। जबकि दो माह बाद अगला सत्र फिर शुरू हो जाएगा। लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी बरकरार है। इसके बावजूद भी सरकार नहीं चेत रही है। यह हाल प्राथमिक से लेकर इंटरमीडिएट तक है। शिक्षा जैसे गंभीर विषय को लेकर सरकार जरा भी नहीं सोच रही है। जिससे भविष्य की नींव कमजोर होती जा रही है। शासन को राज्य में शैक्षिक व्यवस्था सुधारने के लिए पर्याप्त शिक्षकों की भर्ती कर पर्वतीय क्षेत्रों के विद्यालयों व बच्चों को राहत देनी चाहिए।
रोहित रावत, उत्तरकाशी
साभार जागरण
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