सरकार स्कूली शिक्षा की बेहतरी पर सालाना हजारों करोड़ रुपये खर्च करती है। मगर असर रिपोर्ट बता रही है कि पांचवीं क्लास के 58 फीसदी से अधिक बच्चे कक्षा दो के पाठ भी नहीं पढ़ पाते हैं और आठवीं के 35 प्रतिशत बच्चे दूसरी क्लास की किताब पढ़ पाने में हिचकिचाते हैं। जाहिर है, भारी-भरकम खर्च के बाद भी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में वह सुधार नहीं हो पा रहा, जिसकी अपेक्षा की जाती है। हालांकि इसके लिए केवल एक पक्ष दोषी नहीं है। कई बच्चे भी अनियमित रूप से स्कूल आते हैं, जिसकी एक बड़ी वजह यह है कि वे अपने माता-पिता के साथ रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटकते रहते हैं। फिर, जो बच्चे नियमित आते भी हैं, तो उनका उचित व सतत शिक्षण कार्य नहीं हो पाता। अगर अब भी संजीदगी से शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया, तो नई पीढ़ी कई मुश्किलों से जूझती दिखेगी।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन
साभार हिन्दुस्तान
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