शिक्षा के अधिकार कानून के तहत आठवीं तक फेल न करने की नीति को खत्म करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। कई राज्यों ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर हामी भर दी है। वाकई किसी इमारत का निर्माण करते समय यदि उसकी नींव मजबूत न बनाई जाए, तो तैयार इमारत कभी भी धराशाई हो सकती है। इसी तरह, बच्चों की प्राथमिक शिक्षा को लेकर बरती गई लापरवाही उनकी उच्च शिक्षा में बाधक बन सकती है। अगर आठवीं तक फेल न करने की रीत बनी रहेगी, तो कुछ बच्चे इसका नाजायज फायदा पढ़ाई के प्रति लापरवाही बरतते हुए उठाते रहेंगे। हालांकि सरकार का यह प्रयास भी तभी सफल होगा, जब हर शिक्षण संस्थान, चाहे वह निजी हो या सरकारी, बच्चों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए इसमें अपनी ईमानदार भूमिका निभाए। उन्हें अपने विद्यार्थियों को इतना तैयार कर देना चाहिए कि वे किसी परीक्षा में फेल न होने पाएं।
राजेश कुमार चैहान, जालंधर
साभार हिन्दुस्तान
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