देश में शिक्षा और अस्पतालों का तेजी से व्यवसायीकरण होता जा रहा है, जबकि प्राइवेट स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाना और अस्पतालों में इलाज कराना आम लोगों के वश में नहीं होता। यहां तक कि मध्यवर्ग के लिए भी मुश्किलें खड़ी होने लगी हैं। आखिर हमारे देश में शिक्षा इतनी महंगी क्यों हो गई है कि सर्विस क्लास की आमदनी का अधिकांश हिस्सा बच्चों की पढ़ाई में खर्च हो रहा है, फिर इलाज की मार अलग? सरकार यदि सरकारी स्कूल-कॉलेजों और अस्पतालों को सर्वसुविधायुक्त एवं बेहतर बना दे, तो शायद ही कोई प्राइवेट संस्थानों में लुटने के लिए जाए! क्या सरकार आम लोगों की इस समस्या का समाधान निकालेगी?.
महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश
साभार हिन्दुस्तान
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