सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने सही कहा है कि शिक्षक सही मूल्यांकन नहीं करते। उन्होंने बताया कि 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं मेें पुनर्मूल्यांकन में 70 फीसदी बच्चों के 45 से 90 तक अंक बढ़े हैं। वाकई यह चैंकाने वाली बात है। सही मूल्यांकन के अभाव में कई योग्य व प्रतिभाशाली बच्चे अनुचित कदम उठा लेते हैं, इसीलिए शिक्षकों को मूल्यांकन के प्रति अति गंभीर होना चाहिए। साथ ही परीक्षा होने के बाद उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में हाय-तौबा मचाने की बजाय भले ही ज्यादा समय लग जाए, लेकिन सही मूल्यांकन उन्हें करना चाहिए। जल्दबाजी में भूल होने की आशंका ज्यादा रहती है। यह सुनिश्चित होना ही चाहिए कि परीक्षक की गलती की सजा कोई परीक्षार्थी और उसका परिवार न भुगते।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन
साभार हिन्दुस्तान
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