औचक निरीक्षण में गायब मिले शिक्षक। समय से पूर्व कर दी गई छुट्टी, घटिया स्तर का दिया जा रहा है मिड-डे मील। रोजाना इस तरह के शीर्षकों से समाचार पत्र भरे रहते है। यह बताने के लिए काफी है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। व्यवस्था में सुधार की बात तक सरकारें करती आई हैं। इसके लिए कई विधालयों को माॅडल बनाया गया है। लेकिन उनके हाल प्राथमिक विधालयों से बदतर है। बताया जा रहा है कि माॅडल विधालयों में माॅडल जैसा कुछ भी नहीं है। अधिकांश विधालयों में शिक्षक ही नहीं है। कंप्यूटर आदि धूल फांक रहे है। बच्चों के बैठने के लिए बेहतर फर्नीचर तक नहीं है। इससे साफ पता चलता है कि सरकारें प्राथमिक शिक्षा के प्रति कितनी संबेदनशील है। वहीं सरकार की इसी लापरवाही का खमियाजा आम जनमानस को उठाना पड रहा है। जो अपना पेट काटकर पब्लिक स्कूलों की मोटी फीस भरने को मजबूर हो रहे है। कहा जाता है कि बच्चे देश का भविष्य होेते है।
वासुदेव मुंडेपी, कनखल, हरिद्वार
साभार जागरण
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