समय पर मिलें पाठ्य पुस्तके

प्रदेश में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने का फैसला ऐतिहासिक रहा है, लेकिन नए पाठ्यक्रम की किताबें बाजार में समय रहते उपलब्ध कराने को चुनौती है। चालू शैक्षिक सत्र के प्रारंभ में किताबें उपलब्ध नहीं हो सकी थी। किताबों की छपाई प्रक्रिया को तय करने में ही सरकार ने लंबा वक्त ले लिया था। इस वजह से विधालयों में पठन-पाठन में भी विलंब हुआ। इसे देखते हुए सरकार नए शैक्षिक सत्र के लिए किताबों की छपाई समेेत तमाम जरूरी बंदोबस्त को अभी से सावधानी बरत रही है। हालांकि किताबों की छपाई को लेकर शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा महकमे के बीच संवादहीनता की नौबत भी देखने को मिल रही है। इस वजह से शिक्षा महकमे के बीच समीक्षा के दौरान एनसीईआरटी की किताबों की छपाई के लिए प्रक्रिया में देरी को लेकर विभागीय मंत्री को रोष जताने के साथ ही शासन और महकमे के अधिकारियों को निलंबित करने की चेतावनी भी देनी पड़ी। यह स्थिति कतई उचित नहीं है। किताबों की छपाई को लेकर मंत्रालय और महकमे के बीच इसी रस्याकसी के चलते चालू शैक्षिक सत्र में भी बाजार में किताबों की उपलब्धता समय पर नही हो पाई थी। साथ में राज्य के विधार्थियों को पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश की तुलना में महंगी किताबें खरीदने को मजबूूर होना पड़ा था। उत्तर प्रदेश में एनसीईआरटी किताबों को लेकर जो व्यवस्थाएं तय की गई, उत्तराखण्ड सरकार उसी तर्ज पर राज्य के छात्र-छात्राओं को फायदा पहुंचाने की कार्ययोजन पर अमल नहीं कर पाई थी। इसी वजह से नए सत्र में उक्त खामियां दुरुस्त करने की कोशिश की जार रही है। वैसे भी एनसीईआरटी की किताबों की दरकार सिर्फ सरकारी विधालयों में ही नहीं, बल्कि सीबीएसई बोर्ड से संबंद्ध निजी विधालयों को भी है। राज्य सरकार को पर्याप्त संख्या में पुस्तके गुणवत्ता के साथ छपवानी होंगी। लिहाजा बेहतर यही होगा कि किसी भी स्तर पर संवादहीनता न रहने पाए। सरकारी किताबों के स्थान पर चालू सत्र में डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर योजना के जरिये से किताबों की धनराशि सीधे उनके बैंक खातो में ट्रांसफर की गई। डीबीटी की इस कामयाबी को राज्य सरकार अगले सत्र में भी दोहराने की कसरत कर रही है। जिलों में इस योजना को अमल में लाने मे परेशानी न हो, इसके लिए जिलास्तरीय अधिकारियों की जिलों में पर्याप्त संख्या में तैनात के निर्देश दिए गए है।


साभार जागरण

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