राष्ट्रभाषा हिन्दी के अस्तित्व पर धीरे-धीरे संकट आने लगा है। आज देश के लोग हिन्दी से ज्यादा अंग्रेजी में बात करते हैं और आने वाली पीढ़ी पर भी अंग्रेजी सीखने के लिए जोर देते हैं। देश को आजाद हुए सालों हो गए, लेकिन अंग्रेजी का असर आज भी कम नहीं हुआ है, बल्कि समय के साथ यह लगातार बढ़ा ही है। बीते सालों से अब तक हिन्दी भाषा को देश में वह स्थान नहीं मिल पाया है, जो उसे मिलना चाहिए था। आज भी देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो ठीक ढंग से हिन्दी बोलना और पढ़ता नहीं जानते। जो कि देश के लिए गंभीर बात है। देश में कई स्थान ऐसे हैं, जहां सिर्फ अंग्रेजी भाषा में ही बात की जाती है। प्रतिवर्ष हिन्दी दिवस मनाया तो जाता है, लेकिन सिर्फ खानापूर्ति के लिए। अभी तक ऐसा कानून या पहल नहीं की गई है जिससे हिन्दी भाषा को मजबूती मिल सके। हिन्दी भाषा को उसका हक दिलवाने के लिए बाते तो बहुत होती हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। हालांकि अब धीरे-धीरे उम्मीद जगने लगी है। देश में हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए एक पहल हुई है।
अनूप सिंह, देहरादून
साभार जागरण
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