बच्चे सभी को पसंद है, शायद इसका कारण है उनका भोलापन जिसमें मासूमियत के साथ सच्चाई कूट-कूट कर भरी होती है। लेकिन वर्तमान परिपेक्ष्य पर नजर डाले तो इन बच्चों की आजादी पर अभिभावकों का पहरा हावी हो चुका है। ये करो, ये ना करों, वहां क्यों गए, ये क्यों किया...... ये छोटी-छोटी बातें ही है जो बच्चो को उनकी उडान भरने से रोक रही है। हम इन नन्हें बच्चों को अपनी सोच के दायरें में समेटना चाहते है। और यह भूल जाते है कि ये उनकी दुनिया है। जैसा कि हम जानते है कि 14 नवंबर को पूरे भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों के बेहतर भविष्य की कामना की जाती है। स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी बच्चों से खास लगाव था और बच्चे उन्हें चाचा नेहरू पुकारते थे। नेहरू बच्चों को प्यार दिया जाए, उनकी देखभाल की जाए ताकि ये अपने पैरों पर खड़े हो सके।
उमेश पंत, देहरादून।
साभार जागरण।
Comments (0)