स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, जहां सभी बच्चों को समान भाव से शिक्षा दी जाती है। लेकिन बच्चों की कक्षाओं को धर्म के आधार पर बांट दिया जाए, तो क्या बच्चे सही शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे? नहीं। बल्कि उनके अंदर बचपन से ही दूसरे समुदाय के खिलाफ भेदभाव पैदा होगा। आखिर दिल्ली के एक एमसीडी स्कूल में कक्षाओं को धर्म के नाम पर बांटा क्यों गया? अगर यह खबर सही है, तो सभी संवेदनशील लोग इससे निराश हुए होंगे। जिन शिक्षकों का कर्तव्य बच्चों को प्रेम व एकता की बातें सिखाना है, आज वही शिक्षक बच्चों को धर्म के आधार पर बांटना सीखा रहे हैंय जबकि बच्चों को तो अभी धर्म का अर्थ भी नहीं मालूम होगा। शिक्षा के मंदिर में ही यदि बच्चों के साथ इस तरह का व्यवहार होता है, तो वर्तमान क्या, भविष्य में भी भारत विश्व गुरु नहीं बन पाएगा!.
कृष्ण, लोनी, गाजियाबाद
साभार हिन्दुस्तान
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