किताबों से दूरी

हर तरह की तकनीकी सुविधाओं से लैस आधुनिक समाज में युवा पीढ़ी इंटरनेट के माध्यम से अध्ययन से लेकर अपना मनोरंजन तक करने लगी है। लेकिन इससे समाज का एक बड़ा नुकसान यह हुआ है कि नई पीढ़ी पुस्तकों के आम अध्ययन से विमुख हो रही है। यद्यपि इंटरनेट पर भी तमाम ज्ञानवर्द्धक और प्राचीन व आधुनिक समाज का आईना दिखाने वाली साहित्यिक सामग्रियां मौजूद हैं, लेकिन नई पीढ़ी के ज्यादातर नौजवान इनके प्रति बिल्कुल लापरवाह हैं, क्योंकि इंटरनेट और सोशल मीडिया पर उनके समक्ष ठीक वही चीजें परोसी जा रही हैं, जिनसे इस नवीन समाज का मनोरंजन होती हों। एक अच्छा लेखक अपने बहुमूल्य विचारों को निचोड़कर एक अच्छी किताब लिखता है और वह किताब बाजार या पुस्तकालयों के किसी कोने में उपेक्षित पड़ी रहती है, यानी इस इंटरनेट युग में अध्ययनहीनता की वजह से उत्कृष्ट पुस्तकों को भी हम हारते हुए देख रहे हैं।


चंद्र प्रकाश, पूर्णिया
साभार हिन्दुस्तान


 

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