बलबीर पुंज ने अपने लेख ‘कुत्सित चिंतन से त्रस्त होता समाज’ के माध्यम से ‘मी टू’ अभियान के महत्व पर जोर दिया है। महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न का मुख्य कारण है लोगों में नैतिक शिक्षा का अभाव होना। लोग साक्षर तो हैं, परंतु शिक्षित नहीं। उनमें नैतिक मूल्यों का घोर अभाव है। मां-बाप की यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को बचपन से ही पढ़ाने-लिखाने के साथ-साथ नैतिक शिक्षा भी प्रदान करें। मात्र सजा देने से समाज में सुधार नहीं आ सकेगा, क्योंकि समाज व्यक्तियों के समूह से बनता है और कोई भी व्यक्ति बचपन से ही अपराधी नहीं होता। वह बुरे आचरण अपने परिवार, रिश्तेदार और आस-पास से ही ग्रहण करता है। इसलिए मां-बाप के साथ-साथ स्कूल भी बच्चों को यौन संबंधित ज्ञान और नैतिक मूल्यों से जरूर अवगत कराएं ताकि बच्चा धीरे-धीरे इससे परिचित हो सकें और किशोरावस्था में पहुंचने पर अपने सही मार्ग से विचलित न हों। तभी समाज में वृहद सुधार संभव होगा और देश प्रगति की ओर अग्रसर हो सकेगा।
सौरभ पाठक, ग्रेटर नो
साभार जागरण
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