देहरादून के एक बोर्डिग स्कूल में छात्र से हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने आम आदमी को झकझोर दिया है। चारों आरोपित नाबालिग हैं। किशोरावस्था में इस घृणित अपराध के लिए कौन जिम्मेदार हैं, यह तो समाजशास्त्रियों के विश्लेषण का विषय है, लेकिन विडंबना यह है कि स्कूल प्रबंधन और अस्पताल की भूमिका सवालों के घेरे में है। जिस तरह से स्कूल प्रबंधन ने आरोपितों पर कार्रवाई की बजाए घटना को दबाने का प्रयास किया, उससे बोर्डिग स्कूलों की कार्यशैली भी उजागर हो रही है। शिक्षा के इस व्यापार में नैतिकता ताक पर रख जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ सिर्फ मुनाफे पर केंद्रित किया जा रहा है। मामले की जानकारी पीड़ित छात्र की बड़ी बहन ने प्रबंधन को दे दी थी। बड़ी बहन भी इसी बोर्डिग स्कूल में पढ़ रही है। आरोप है कि प्रबंधन ने मामले में कार्रवाई की बजाए न केवल चुप रहने के लिए दो बहनों को धमकाया, बल्कि पीड़ित को अस्पताल ले जाकर गर्भपात का कुत्सित प्रयास भी किया। बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, उस अस्पताल ने भी मामले की जानकारी पुलिस को देने की जहमत नहीं उठाई। आखिरकार बड़ी बहन ने अपने रिश्तेदारों से घटना का जिक्र किया और पुलिस तक बात पहुंची। अब प्रबंधन से जुड़े लोगों समेत नौ आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह सही है कि अब कानून अपना काम करेगा, लेकिन सवाल समाज पर भी है। आखिर आधुनिकता की चकाचैंध के बीच सूचना क्रांति के इस युग में हम कहां जा रहे हैं। ज्यादा दिन नहीं बीते जब देहरादून के विकासनगर क्षेत्र में ही तीन किशोरों ने एक बच्ची से दुष्कर्म कर डाला। नाबालिगों की इस करतूत से अदालत भी हैरान थी। देश में भूचाल लाने वाले दिल्ली के निर्भया कांड को करीब सात साल बीत चुके हैं। तब लगा समाज जागरूक हो चुका है। इस बीच दुष्कर्म मामले में कानून में संशोधन भी हुए , यहां तक कि किशोरों के संन्न्ोय अपराधों में संलिप्त होने पर भी गंभीरता दिखायी गई। बावजूद इसके कानून का जो भय नजर आना चाहिए, उसमें कहीं तो कमी रह गई। बोर्डिग स्कूल में सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई किशोरी के बारे में कहा जा रहा है कि परिजन उनसे मिलने कम ही आते थे। जाहिर है किशोरी के लिए परिस्थितियां और भी दुरूह रही होंगी। बदलते सामाजिक परिवेश में उत्पन्न होते विकार आज की सबसे बड़ी चुनौती हैं। यह सही है कि परिवर्तन को नकारा नहीं जा सकता, उसके साथ कदम तो मिलाने ही पड़ेंगे, लेकिन यह भी विचार करना होगा युवाओं को कैसे जागरूक किया जाए ताकि वे बदले परिवेश में भी कदमताल करते हुए सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ें।
साभार जागरण
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