आज के इस बदलते और प्रतियोगी परिवेश में कोचिंग संस्थान कितने हावी हो गए हैं, इसका अंदाजा उनकी दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या से लगाया जा सकता है। चाहे विद्यार्थी स्कूल का हो, कॉलेज का या फिर वह किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा हो, कोचिंग संस्थानों की मदद लेता वह जरूर दिख जाएगा। जिन लोगों के पास आर्थिक संसाधन हैं, उन्हें तो मुश्किलें नहीं आतीं, लेकिन जिनके पास पैसे नहीं, वे काफी परेशान हो जाते हैं। ऐसे में, हमारे नीति-नियंताओं को यह विचार करना चाहिए कि स्कूलों-कॉलेजों के होते हुए भी बच्चों को आखिर क्यों कोचिंग संस्थानों की जरूरत पड़ती है? क्यों नहीं शिक्षा के स्तर और गुणवत्ता में इतनी वृद्धि कर दी जाए कि विद्यार्थियों को कोचिंग संस्थानों का मुंह नहीं ताकना पड़े? इससे उनका अतिरिक्त धन और समय बर्बाद नहीं होगा।
मनीषा रानी
साभार हिन्दुस्तान
Comments (0)