स्कूली वाहन

परिवहन विभाग द्वारा अवैध रूप से स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय स्वागत योग्य है। हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करना विभाग का दायित्व है। सड़क सुरक्षा से समझौता कतई नहीं किया जा सकता। इस सबके बीच परिवहन विभाग के इस कदम से कहीं न कहीं स्कूली बच्चों और अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। वह इसलिए, क्योंकि इन वाहनों पर रोक लगाने से पहले परिवहन विभाग बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाया है। देखा जाए तो इस समय प्रदेश के अधिकांश स्कूलों के पास अपनी बसें अथवा वैन नहीं हैं। एक अनुमान के मुताबिक केवल दस प्रतिशत स्कूल ही अपनी बसों का संचालन कर रहे हैं। शेष 90 फीसद स्कूलों में या तो निजी बसें अथवा आटो, रिक्शा, वैन या अन्य वाहनों से बच्चों को ले जाया जाता है। जिस तरह से इनमें बच्चे ठूंसे जाते हैं उस लिहाज से इन पर सख्ती करने की आवश्यकता भी महसूस हो रही थी। अब बात करें नियमों की तो कहने को तो हर स्कूल के पास बच्चों को लाने के लिए अपने वाहन होने चाहिए, मगर ऐसा है नहीं। प्राइवेट स्कूलों पर न तो विभाग और न ही शासन ही शिकंजा कस पाया है। स्थिति यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद आज तक स्कूलों की फीस का सही तरह से निर्धारण नहीं हो पाया है। ये स्कूल मनमाने तरीके से ही फीस ले रहे हैं। जब भारी दबाव के बावजूद सरकार तक फीस नियंत्रित करने में असफल रही है तो फिर स्कूल बस लेने के लिए विभाग स्कूल प्रबंधन पर कितना दबाव बना पाएगा यह देखने की बात होगी। विभाग द्वारा अब स्कूल बसों की खरीद पर टैक्स में 50 फीसद छूट की बात कही जा रही है। बावजूद इसके सवाल अपनी जगह बरकरार है कि यदि स्कूल इससे कदम पीछे खींचते हैं तो फिर इससे निपटने के लिए विभाग के पास क्या योजना है। विभाग और स्कूलों के बीच चलने वाली इस खींचतान में अभिभावकों का पिसना तय है। बेहतर होता कि विभाग कोर्ट के निर्णय का अनुपालन कराने के साथ ही स्कूली बच्चों के लिए भी कोई वैकल्पिक व्यवस्था देता। सरकार को चाहिए कि वह अब इस मसले को देखे। वह स्कूली बच्चों व अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए स्कूलों द्वारा बस खरीद की प्रक्रिया सुनिश्चित कराए। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करने की आवश्यकता है।


साभार जागरण

Comments (0)

Please Login to post a comment
SiteLock
https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.ritiriwaz.com%2Fpopular-c-v-raman-quotes%2F&psig=AOvVaw0NVq7xxqoDZuJ6MBdGGxs4&ust=1677670082591000&source=images&cd=vfe&ved=0CA8QjRxqFwoTCJj4pp2OuP0CFQAAAAAdAAAAABAE