बेहतर शिक्षा के लिए बेहतर शिक्षक जरूरी

प्रो. निरंजन कुमार ने अपने आलेख ‘बेहतर शिक्षकों के चयन की चुनौती’ के माध्यम से भारतीय शिक्षा में शिक्षक चयन की जिस ज्वलंत समस्या का जिक्र किया है, उसका समाधान इस देश में व्याप्त भ्रष्टाचार और आरक्षण के चलते संभव नहीं है। मोदी सरकार देश की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए प्रयोग दर प्रयोग कर रही है, लेकिन प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक बेहतर शिक्षक चयन की एक सुस्पष्ट नीति निर्धारित न हो पाने के कारण उसे इस क्षेत्र में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। इस देश में शिक्षा को संसाधन युक्त बनाने पर जितना जोर दिया गया, उतना बेहतर शिक्षकों के चयन पर नहीं दिया गया। शिक्षक को एक सामान्य सरकारी नौकर मानने की मानसिकता के साथ प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षक भर्ती के लक्ष्य को पूरा करने में ही राज्य सरकारों ने अपनी ऊर्जा लगाई है, लेकिन बेहतर शिक्षकों का चयन कैसे हो इस युक्ति को खोजने की किसी राज्य सरकार ने जहमत नहीं उठाई। उत्तर प्रदेश में पिछली सपा सरकार द्वारा स्ववित्तपोषित शिक्षण संस्थानों से लाखों की संख्या में निकले बीएड बेरोजगारों को उनकी अमानकीकृत स्कूली मेरिट के आधार पर चयनित करके छह माह के विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण के साथ प्राथमिक स्कूलों का शिक्षक बनाकर शिक्षा की बुनियाद को खोखला करने का काम किया गया। शिक्षा की बेहतरी के लिए शिक्षक चयन की प्रक्रिया को स्तरीय बनाने के साथ ही भ्रष्टाचार और आरक्षण से भी मुक्त करने की जरूरत है। इसके लिए हर स्तर के शिक्षक चयन हेतु राष्ट्र स्तरीय लिखित परीक्षा के उपरांत, दक्ष और निष्पक्ष चयन बोर्ड के माध्यम से आरक्षण और भ्रष्टाचार से रहित शिक्षक चयन की राष्ट्र स्तरीय प्रक्रिया सतत रूप से जारी रहनी चाहिए।


डॉ. वीपी पाण्डेय, अलीगढ़


साभार जागरण

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