एक तरफ शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर काफी जोर दिया जा रहा है, तो दूसरी तरफ स्कूलों में पाठ्य-पुस्तकें, यूनिफॉर्म और लेखन-सामग्रियां महंगी दरों पर बेची जा रही हैं। निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के विद्यार्थियों को मुफ्त शिक्षा और इससे जुड़ी अन्य सामग्रियां उपलब्ध कराने का आदेश सरकार ने दे रखा है, मगर लगता है कि स्कूल-प्रशासन इस खर्च को सामान्य श्रेणी के बच्चों पर डाल रहा है। उस पर बंदिश यह कि स्कूल से संबंधित सामग्रियां स्कूलों में खुली दुकानों से ही ली जाएं। शिक्षा के नाम पर ऐसा व्यवसायीकरण ठीक नहीं।
नीलू सिन्हा, रोहिणी, दिल्ली
साभार हिन्दुस्तान
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