शिक्षा और सहजता

‘पिता और गुरु, दोनों का परंपरावादियों की तरह आदर करना रामशरण शर्मा (इतिहासकार) का स्वभाव था। पटना विश्व. में प्रोफेसर सैयद हसन असकरी उनके गुरु थे। न सिर्फ विश्वविद्यालय, बल्कि पटना शहर में वह लिजेंड की तरह थे। उनके पढ़ने-पढ़ाने की विलक्षणता को आम आदमी नहीं समझ सकता था, परंतु उनका रहन-सहन, एक पुरानी साइकिल पर चलना और उसके कैरियर पर पुस्तकों के साथ बकरी के लिए घास लादते देखकर लोगों को अजूबा लगता। जब शर्माजी इतिहास विभागाध्यक्ष हुए, उस समय भी प्रो असकरी मध्यकालीन इतिहास पढ़ाते थे। जब असकरी साहब बाहर सड़क पर से ही पुकारते, ‘रामशरण..’, तो शर्माजी भागे-भागे अपनी कोठी के मेन गेट पर पहुंच जाते। अगर वहीं खड़े-खड़े असकरी साहब किसी सिनेमा के बारे में बताते, तो शर्माजी इस तरह श्रद्धा से और ध्यानपूर्वक सुनते, जैसे असकरी साहब मध्यकालीन इतिहास की किसी समस्या पर प्रकाश डाल रहे हों।.. प्रोफेसर असकरी जितना पढ़ने के लिए विख्यात थे, उतना ही सिनेमा देखने के लिए भी। पटना में असकरी साहब अमूमन दो ही जगहों पर देखे जाते थे- खुदाबख्श खां लाइब्रेरी के अध्ययन कक्ष में या फिर सिनेमा हॉल के टिकट काउंटर पर।


संजीव कुमार की फेसबुक वॉल से


साभार हिन्दुस्तान

Comments (0)

Please Login to post a comment
SiteLock
https://www.google.com/url?sa=i&url=https%3A%2F%2Fwww.ritiriwaz.com%2Fpopular-c-v-raman-quotes%2F&psig=AOvVaw0NVq7xxqoDZuJ6MBdGGxs4&ust=1677670082591000&source=images&cd=vfe&ved=0CA8QjRxqFwoTCJj4pp2OuP0CFQAAAAAdAAAAABAE