शिक्षा के व्यापार पर लगे अंकुश


प्रदेश क्या बल्कि पूरे देश में शिक्षा का स्तर गिर चुका है। शिक्षा पूरी तरह से व्यापार में बदल चुकी है। जिसके पास जितना अधिक पैसा है, उनके बच्चे उतने ही बड़े स्कूल या संस्थान में पढ़ रहे होते हैं। वहीं शिक्षण संस्थानों के अलग-अलग कई स्तर हैं। यह सिलसिला देश और समाज के हित में बिल्कुल नहीं है। बौधिक क्षमता तो किसी के पास भी हो सकती है। उसका अमीर या गरीब से कोई लेना देना नहीं होता है। दरअसल इस समस्या पर कोई भी सरकार गंभीरता से काम करना नहीं चाहती। जिसका करण यह है कि सरकारी संस्थान गर्त में जाते और पब्लिक स्कूल बेहतर हो रहे हैं। जिस तरह का मैनेजमेंट पब्लिक स्कूलों में होता है उस तरह का सरकारी स्कूलों में क्यों नहीं हो सकता, लेकिन इसको लेकर इच्छा शक्ति की कमी है। आज के समय शिक्षा का पूरी तरह से व्यापार हो रहा है। इसमें अंकुश लगना बहुत जरूरी है। शिक्षा किसी भी बच्चे का मूलभूत अधिकार है। शिक्षा में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। सभी बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में एक समान अधिकार मिलने चाहिए।
मनोज पुरोहित, देहरादून
साभार जागरण


 

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