उत्तराखंड शिक्षा विभाग द्वारा आगामी शैक्षिक सत्र में पाठ्यपुस्तकों के सन्दर्भ में लिए गए विलक्ष्ण निर्णयों के चलते छात्रों तक पाठ्यपुस्तके पहुंच पाना एक दिव्य स्वपन है। विभागीय प्रणाली एवं शिक्षा मंत्री की इच्छाओं का विपरीत होना आगामी शैक्षिक सत्र में छात्रों हेतु पाठ्यपुस्तकों की उपलब्धता को लेकर संक्षय बना हुआ है। साथ ही वर्तमान में सरकारी स्कूलों में हर साल छात्रों की घटती संख्या प्रदेश सरकार के सामने चुनौती का विषय बन गई है। सरकार के नए-नए प्रयासों के बीच भी सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या सरकार के लिए चिंता का विषय है। सरकार के सामने अब यह चुनोती है की छात्रों में सरकारी स्कूलों के प्रति रुचि कैसे बढ़ाई जाए तथा उनका शैक्षिक स्तर कैसे उंचा उठाया जाएं।
सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण है। जिनका निराकरण किए बिना यह कार्य संभव नही है। इन कारणों में महत्वपूर्ण है निजी स्कूलों के प्रति बढ़ता आर्कषण। सरकारी विद्यालयों में संसाधनों का अभाव। राजकीय विद्यालयों में शैक्षिक दिवसों की संख्या का कम होना। राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा कराये गए शिक्षण कार्य का मूल्यांकन उचित माध्यम अथवा या अन्य पक्ष द्वारा नहीं किया जाना है।
शिक्षा विभाग की समस्याओं के पहाड़ के बीच निदेशक अकादमिक एवं शोध श्रीमती सीमा जौनसारी द्वारा एक अभिनव पहल मिशन कोशिश के रूप में की गई है इस प्रयास द्वारा पाठ्यपुस्तकों के अभाव में शिक्षकों व छात्रों की रुचि व शैक्षिक कार्य के सम्पादन में मदद मिल सकेगी।
मिशन कोशिश के तहत 2 अप्रैल से 19 मई तक कक्षा एक से कक्षा 9 तक की कक्षाओं में विषयवार उपलब्ध कराए गए लर्निंग आउटकम पर आधारित गतिविधियों का संचालन किया जाएगा। कक्षा दस से 12वीं तक विषय अध्यापक कक्षावार पूर्व की कक्षा की आधारभूत दक्षताओं, जो वर्तमान कक्षा में पढ़ाने जाने वाले सम्बोधों के लिए आवश्यक है, या जिनसे छात्रों की समाप्ति कम है, उनकी पहचान कर शिक्षण कार्य करेंगे। 21 मई से 25 मई तक पढ़ाए गए सम्बोधों पर मूल्यांकन किया जाएगा। अप्रैल व मई में होने वाली मासिक परीक्षाएं उक्त शिक्षण कार्यो पर ही आधारित होंगी। ग्रीष्मावकाश में अध्यापक ऐसे सम्बोधों पर अभ्यास कार्य, गृह कार्य छात्रों को देंगे जिनमें उनकी सम्प्राप्ति कम रही है।
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