परीक्षा की शुचिता पर सवाल

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के स्तर से अवर अभियंता पदों के लिए कराई गई परीक्षा सवालों के घेरे में है। यह अलग बात है कि आयोग इसे सीधे तौर पर स्वीकार नहीं कर रहा है, लेकिन पूरे मामले पर नजर दौड़ाएं तो परीक्षा की शुचिता को लेकर किंतु-परंतु स्वाभाविक हैं। ऊर्जा निगम और पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन में जेई के 252 पदों के लिए यह परीक्षा कराई गई थी। इसके आधार पर 240 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, इनमें 66 अभ्यर्थी हरिद्वार के एक कोचिंग सेंटर के हैं। यानि चयनितों में लगभग तीस फीसद एक ही सेंटर के। यह कैसे संभव हो पाया, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। चिंताजनक यह कि मामला सामने आने के बाद भी आयोग तत्काल हरकत नहीं दिखा, उसके जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साध गए। अलबत्ता, तीन रोज पहले हरिद्वार के जिलाधिकारी ने इस कोचिंग सेंटर पर छापा मारकर कुछ दस्तावेज कब्जे में जरूर लिये हैं। बताया गया कि आयोग के स्तर से डीएम को छापे की कार्रवाई के निर्देश मिले थे। आयोग ने यह कदम खुद संज्ञान लेकर नहीं, बल्कि अपनी ङोंप मिटाने के लिए उठाया। चयन से वंचित कुछ अभ्यर्थी इस मामले को अदालत तक लेकर गए हैं। कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है। अगर कोर्ट ने परीक्षा रद करने जैसा कोई फैसला तो दिया तो आयोग की किरकिरी होनी तय थी, सो दामन को बचाने की मंशा से ही आयोग ने यह हलचल दिखाई। हालांकि, आयोग के अधिकारी यह तर्क देकर अपने बचाव का रास्ता ढूंढ रहे हैं कि परीक्षा परिणामों को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर स्वतरू संज्ञान लेकर छापे की करवाई की गई, लेकिन परीक्षा की शुचिता को लेकर सवाल अभी अनुत्तरित हैं। दरअसल, यह पहला मौका नहीं है, जबकि आयोग के स्तर से कराई गई परीक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं, इससे पहले ग्राम पंचायत विकास अधिकारी वीडीओ की परीक्षा पर भी बखेड़ा हो चुका है। ओएमआर शीट में छेड़छाड़ के आरोप सही पाए जाने के बाद यह परीक्षा एक बार रद होने के बाद हाल में दुबारा गई, लेकिन विवादों का साया इस बार भी साथ चला। परीक्षा की प्रश्नपत्रों की एक सीरीज में चालीस प्रश्न रिपीट होने से सवाल उठ रहे हैं। इस पर फिलहाल आपत्तियां मांगी जा रही हैं। करीब डेढ़ साल पहले विभिन्न विभागों में वैयक्तिक सहायक और आशुलिपिक के 117 पदों के लिए कराई गई परीक्षा में अनियमितता साबित हो चुकी है, तब पुनमरूल्यांकन में 23 अभ्यर्थी फेल हो गए थे। आयोग और अन्य माध्यमों से राज्य में अभी तक कराई गई लगभग दर्जनभर परीक्षाओं की शुचिता को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इस स्थिति से बाहर निकलने की जरूरत है।


साभार जागरण


 

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