समय पर तैनात हों शिक्षक

सरकारी विद्यालयों व महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर होनी चाहिए। स्थायी शिक्षकों की भर्ती में विलंब होने की स्थिति में अस्थायी शिक्षकों की तैनाती भी समय पर सुनिश्चित की जानी चाहिए।


राज्य सरकार ने आखिरकार शिक्षकों के रिक्त पदों पर अस्थायी शिक्षकों की तैनाती कर दी। बड़ी संख्या में सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को शिक्षकों की कमी के चलते पठन-पाठन में दिक्कतों से जूझना पड़ रहा था। सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के रुझान में कमी आने की बड़ी वजह शिक्षकों की कमी भी है। खासतौर पर दुर्गम और दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक जाने को तैयार नहीं हैं। नियमित नियुक्ति पाने के बाद शिक्षकों की ओर से सुगम में तैनाती को हाथ-पांव मारने शुरू हो जाते हैं। नियमावली में पहली नियुक्ति और पदोन्नति दुर्गम में किए जाने का प्रावधानों का सख्ती से पालन कराने में शिक्षा महकमा हिचकता रहा है। ऐसे विद्यालयों में अस्थायी शिक्षक पहुंचने से विद्यालयों में चहल-पहल होगी, साथ ही छात्र-छात्राओं को पढ़ाई खासतौर पर कठिन विषयों की पढ़ाई में सहूलियत रहेगी। शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति को जल्द और समयबद्ध तरीके से अभी तक अंजाम नहीं दिया जा सका है। यही वजह है कि शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या में जितनी तेजी से इजाफा हो रहा है, भर्ती प्रक्रिया में उतनी ही लेटलतीफी दिखाई पड़ती है। माध्यमिक विद्यालयों में ही प्रवक्ता और एलटी शिक्षकों के तकरीबन चार हजार पद रिक्त हैं। इन्हीं पदों पर अस्थायी नियुक्तियां की जा रही हैं। यही हाल सरकारी डिग्री कॉलेजों का भी है। बीते वर्षों में डिग्री कॉलेजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है, लेकिन उसी अनुरूप शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई। नतीजतन तकरीबन 1300 से ज्यादा डिग्री शिक्षकों के पद रिक्त चल रहे हैं। इनमें से 877 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जबकि 585 पदों पर यूजीसी की पात्रता पूरी करने वाले स्थानीय युवाओं को नजदीकी महाविद्यालयों में अस्थायी नियुक्ति देने की सरकार की मंशा है। बेहतर यही होगा कि नियमित नियुक्ति में लगने वाली देरी को देखते हुए अस्थायी शिक्षकों की तैनाती को कारगर नीति तय की जाए, ताकि प्राथमिक विद्यालयों से लेकर महाविद्यालयों में समय पर शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में अस्थायी रूप से नियुक्तियां की तो जा रही हैं, लेकिन यह कार्य शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ प्राथमिकता से किया जाना चाहिए, ताकि पठन-पाठन में व्यवधान न हो।
दैनिक जागरण से साभार
[ स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड ]


 

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