शिक्षा विभाग में साबू का उदय

शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने अपनी विशिष्ट कार्यशैली के चलते एक नया मुकाम स्थापित किया है। हाल ही में शिक्षा विभाग में हुए अधिकारियों के स्थान्नतरण को लेकर इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि भाजपा द्वारा विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस सरकार के निर्णयों पर विरोध जताना एक भ्रम था। भाजपा सरकार बनने के बाद भी पूर्व शासन के विवादास्पद  निर्णय जैसे फैसले इस सरकार द्वारा भी लिए जा रहे है। काफी समय पूर्व प्रचलित बच्चों के काॅमिक्स में दो मुख्य चरित्र चाचा चैधरी व साबू हुआ करते थे। उन काल्पिनिक चरित्रों को यर्थात में शिक्षा विभाग ने पुर्नजीवित किया है। कांग्रेस शासन के समय में राजनेताओं व उच्च अधिकारियों को अपनी जेब में रखकर घुमने व मनमर्जी करने में दक्ष एक अधिकारी दो-दो उच्च पदों का दायित्व एक साथ निर्वहन करते रहे है। ऐसा लगता था कि भाजपा सरकार के आने के पश्चात ऐसे अधिकारियों पर नकेल कसी जाएगी परंतु उसके विपरीत पूर्व में दो-दो दायित्व निभा रहे अधिकारी को पारितोषिक देकर तीन पदों का दायित्व दिया गया है। जहां एक ओर भाजपा सरकार प्रदेश में अपने मुख्यालय से इतर कैंप आॅफिस की संस्कृति समाप्त करने का प्रयास कर रही है, उस से भी कई कदम आगे बढ़कर शिक्षा विभाग में कनिष्ट वरीयता के अधिकारी को एक साथ तीन-तीन उच्च पदों पर स्थापित कर दिया है। शिक्षा विभाग में यह परंपरा पूर्व से ही प्रचलित रही है। कुछ समय पूर्व ही सेवानिवृत हुए एक अधिकारी जो कि (आईएएस अधिकारी के रिश्तेदार) शिक्षा विभाग में काफी वर्षों तक साबू की भूमिका निभाते रहे है। उच्च शिक्षा से संबंधित एक अधिकारी जो कि कुलसचिव का दायित्व निभाते हुए शासन व राजभवन के विरोध के बावजूद भी अपने हनक चलाते रहे है इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा विभाग का यह अधिकारी सत्ता के अपरोक्षकेंद्र की कृपा के कारण तीन सौ किलोमीटर की दूरियों पर स्थित पदों के दायित्वों का निर्वाहन किसी आलौकिक शक्ति से ही संपादित कर सकेगा इसमें किसी को भी सन्देह नहीं होना चाहिए। यहां पर यह भी महत्वपूर्ण है कि शिक्षा विभाग के सभी शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रमाण-पत्रों की जांच व विभिन्न आरोपित प्रकरणों की जांच भी इन्हीं अधिकारी के नेतृत्व में कराया जाना यह कहावत चरितार्थ करता है कि बिल्ली को ही दूध की रखवाली का जिम्मा दिया गया है।
                                                                                                       


                                                                                                 क्रमशः            

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